दिल से दिल तक

प्रेम की शक्ति शक्ति के प्रेम से अधिक मजबूत होती है। "अगर मैं पहाड़ों को हिला सकता हूँ लेकिन मेरे पास प्यार नहीं तो मैं कुछ भी नहीं हूँ।" (1 कुरिन्थियों 13: 2)

जब शैतान यीशु को अपनी ओर जीतना चाहता था तब उसने जंगल में उसकी अंतिम परीक्षा की जो शक्ति और अधिकार से जुड़ी थी। “शैतान फिर यीशु को एक बहुत ऊँचे पहाड़ पर ले गया और उसे जगत के सारे >>>

आपको यह साबित करने के लिए अनावश्यक जोखिम उठाने की ज़रूरत नहीं कि आप सचमुच कौन हैं। "तुम प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न लेना।" (मत्ती 4: 7)

हम मत्ती 4: 6 में पढ़ते हैं कि शैतान ने दूसरी बार जंगल में यीशु की परीक्षा की, “अगर आप परमेश्वर के पुत्र हो तो अपने आप को नीचे गिरा दो। क्योंकि लिखा है, ‘वह तेरे विषय में अपने स्वर्गदूतों >>>

जब आप समझ जाएंगे कि आप किसके हैं तब आप समझ जाएंगे कि आप कौन हैं। “क्योंकि तुम सब यीशु मसीह पर विश्वास करने के द्वारा परमेश्वर की सन्तान हो।" (गलातियों 3: 26)

यीशु के अपनी सांसारिक सेवा शुरू करने से पहले, हमारे स्वर्गीय पिता चाहते थे कि यीशु अपने जीवन में कुछ महत्वपूर्ण अनुभव करें। हम मत्ती 3:17 में पढ़ते हैं कि जब यूहन्ना यीशु को पानी में बपतिस्मा दे रहा था >>>

तुम प्रेम के लिए बनाए गए थे। “क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम किया कि उसने अपना इकलौता पुत्र दे दिया ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नाश न हो परंतु अनंत जीवन पाए"। (यूहन्ना 3: 16)

जीवन एक फैसला है। तुम्हारा जीवन एक फैसले के कारण शुरू हुआ, पर वह फैसला तुम्हारा नहीं था। तुमने फैसला नहीं लिया कि तुम्हें इस दुनिया में आने की ज़रूरत है।

जीवन बढ़ोतरी है। बढ़ोतरी विरासत में मिले फ़ैसलों से >>>

अच्छा काम करते रहें। “मौके को न खोएं और सभी लोगों की मदद करें। लेकिन सबसे पहले, उन लोगों के लिए भला करें, जो परमेश्वर के परिवार के हैं।” (गलातियों 6: 10)

भले ही दुनियाँ डर और चिंता से भरी हो लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हमें दुनियाँ का पीछा करना है। मसीह ने हमें पाप से छुड़ाया और हम अब दुनियाँ के हिसाब से नहीं जीते। हम परमेश्वर के राज्य >>>

अपनी समस्याओं पर मन ना लगाऐ, परमेश्वर पर मन लगाए जो हर समस्या का समाधान कर सकता है। "विश्वास करने वालो के लिए सब कुछ सम्भव है"। (मरकुस 9: 23)

हमारा ध्यान हमारी दिशा को निश्चित करता है। पीछे देखकर आगे की ओर जाने की कोशिश करना नामुमकिन है। हार के बारे में सोचकर जीतने की कोशिश करना नामुमकिन है। हमारा ध्यान दिखाता है की हम कहाँ जा रहे हैं। >>>

दया संसार को चलाती है। "परमेश्वर उपकार न माननेवालों और धूर्तों के प्रति दयालु हैं"। (लुका 6: 35)

दयालुता को हराना नामुमकिन है। ठीक जैसे अंधकार रोशनी पर नहीं जीत सकता और जैसे आग समुद्र को नहीं जला सकती और रात दिन को नहीं रोक सकती उसी तरह से दयालूता अजय है।

अगर तुम दयालुता को दुःख पहुँचाओगे >>>

अगर आप लोगों का न्याय करते हैं तो आपके पास उन्हे प्यार करने का समय नहीं होगा । "दूसरों का न्याय मत करो और तुम्हारा भी न्याय नहीं किया जाएगा" । (मत्ती 7: 1)

मसीह से पहले लोगों ने धुंधले आईने में छाया की तरह परमेश्वर को ठीक से नहीं समझा । लेकिन मसीह में परमेश्वर खुद हमारे पास आये ताकि हम साफ साफ समझ सकें कि वह कौन है। “पिता और मैं एक >>>

अगर आप विश्वास में चलते हैं तो आप विजय में चलेंगे। “हर एक जो परमेश्वर से जन्म है, वह संसार पर जय प्राप्त करता है। यह वह जीत है जिसने दुनियाँ को जीत लिया यहाँ तक कि हमारे विश्वास को भी।" (1 यूहन्ना 5: 4)

जब हम मसीह को अपने दिल में स्वीकार करते हैं तब हमें एक नया जीवन शुरू करने की क्षमता प्राप्त होती है। लेकिन हम उस क्षमता को तभी पूरा कर पाएंगे जब हम विश्वास में बढ़ेंगे।

इसका क्या मतलब है >>>

समस्याएं लोगों को परमेश्वर के करीब लाती हैं और समस्याएं लोगों को परमेश्वर से दूर कर देती हैं। “यीशु ने चारों ओर देखा और उन्हें पीछे चलते देखा। 'तुम क्या चाहते हो?' उसने उनसे पूछा "। (यूहन्ना 1: 38)

जब यूहन्ना के दो चेले उसे छोड़कर मसीह के पीछे हो लिए तब यीशु ने उन से पूछा, “तुम क्या चाहते हो?” (यूहन्ना 1: 37) उस समय यीशु का एक भी चेला नहीं था। इसलिए इस तरह का सवाल उस >>>