धन्यवाद के परिणाम स्वरूप हमारा विश्वास और मज़बूत होता है। जब हम विश्वास से परमेश्वर को उसके भावी जवाबों के लिए धन्यवाद देते हैं तब हमारा विश्वास और मज़बूत होता है। हालाकि हम उसके जवाब को अभी तक अपनी शारीरिक आँखों से नहीं देखते फिर भी विश्वास करते हैं। हम जितना अपनी आत्मिक आँखों को परमेश्वर के अदृश्य वादों पर लगाते हैं हमारा विश्वास उतना ज़्यादा बढ़ता है। तब हमारे विश्वास से परमेश्वर असम्भव को सम्भव बनाता है। (कुलुस्सियों 2: 7)
धन्यवाद का उल्टा है कुड़कुड़ाना और असन्तोष। अगर आप उन विचारों के प्रति जो आप अपने दिमाग में आने देते हैं या उन शब्दों के प्रति जो आपके मुँह से निकलते हैं अगर आप अपने दिमाग़ में आनेवाले विचारों और मुँह से निकलनेवाले शब्दों के प्रति सावधान नहीं हैं तो आपका शारीरिक मनुष्य अपने आप समस्या और सम्भावित नकारात्मक परिणामो पर ध्यान लगाएगा! आप जितना कुड़कुड़ायेंगे या असन्तोष करेंगे आपका विश्वास उतना ही कमज़ोर होगा। अन्त में आप अपने शब्दों और विचारों के द्वारा खुद को हरा दोगे।
अगर आपको चमत्कार चाहिए तो आपको परमेश्वर की ज़रूरत है। लेकिन परमेश्वर को आपके जीवन में इस चमत्कार को करने के लिए आपके विश्वास की ज़रूरत है। अब से आगे न कुड़कुड़ाने, नकारात्मक न होने, दूसरो के बारे में बात न करने और अपने विश्वास को नाश न करने का दृढ़ निर्णय लो। इसी समय अपने भविष्य की जीत के लिए जो परमेश्वर आपके जीवन में निश्चय देने वाले हैं परमेश्वर का धन्यवाद करो। समस्याओं पर ध्यान लगाना छोड़ दीजिए और परमेश्वर पर ध्यान लगाइये जो आपके जीवन की किसी भी समस्या पर आपको जीत दे सकता है।
#दिलसेदिलतक Stan & Lana
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