प्रेम की शक्ति शक्ति के प्रेम से अधिक मजबूत होती है। “अगर मैं पहाड़ों को हिला सकता हूँ लेकिन मेरे पास प्यार नहीं तो मैं कुछ भी नहीं हूँ।” (1 कुरिन्थियों 13: 2)

प्रेम की शक्ति शक्ति के प्रेम से अधिक मजबूत होती है। "अगर मैं पहाड़ों को हिला सकता हूँ लेकिन मेरे पास प्यार नहीं तो मैं कुछ भी नहीं हूँ।" (1 कुरिन्थियों 13: 2)

जब शैतान यीशु को अपनी ओर जीतना चाहता था तब उसने जंगल में उसकी अंतिम परीक्षा की जो शक्ति और अधिकार से जुड़ी थी। “शैतान फिर यीशु को एक बहुत ऊँचे पहाड़ पर ले गया और उसे जगत के सारे राज्य और उसकी महिमा दिखाई। उसने यीशु से कहा, “अगर तू झुककर मेरी आराधना करे तो मैं यह सब कुछ तुझे दे दूँगा।” (मत्ती 4: 8-9)

शैतान मसीह को झुकाने के अपने पहले दो प्रयासों में हार गया और जो शैतान चाहता था वह उससे नहीं करवा पाया। फिर शैतान ने आखिरी कोशिश की। और दूसरे शब्दों में उसने सौदा करने की कोशिश की। वह जानता था कि यीशु उस अधिकार को पुनः स्थापित करने आया था जिसे लोगों ने अदन की वाटिका में खो दिया था। इसलिए उसने सीधे मसीह को सुझाव दिया, “मैं आपको वह सब कुछ दूँगा जिसके लिए आप आए हैं लेकिन एक शर्त है – आपको मेरी पूजा करनी होगी।”

कोई भी व्यक्ति जो अपनी शक्ति और अधिकार का प्रयोग करना पसंद करता है, इस तरह के आकर्षक प्रस्ताव को खुशी से स्वीकार करेगा। लेकिन यीशु बिल्कुल अलग था। वह जानता था कि वह कौन था क्योंकि वह जानता था कि वह किसका था। और इससे भी बढ़कर, यीशु जानता था कि पिता उससे प्रेम करता है और वह उसके पिता को आनन्दित करता है। दूसरे शब्दों में, यीशु के लिए प्रेम की शक्ति शक्ति के प्रेम से अधिक महत्वपूर्ण थी। इसलिए जब यीशु को परमेश्वर के प्रेम और परमेश्वर की उपस्थिति के बिना शक्ति के बीच चुनाव करना था तब यीशु ने सही चुनाव किया।

यह क्रूस का रहस्य है जिसे इस दुनियाँ के शासकों और अधिकारी ने नहीं समझा। और अगर वे इसे समझते तो वे हमारे तेजस्वी प्रभु को क्रूस पर नहीं चढ़ाते। (1 कुरिन्थियों 2: 8) इस दुनियाँ के शासकों ने शक्ति के प्रेम को पहले स्थान पर रखा है। लेकिन परमेश्वर ने यीशु को क्रूस पर भेजा और जब हम पापी ही थे तब वह हमारे लिये मरा। इस तरह से परमेश्वर ने अपने प्रेम के द्वारा अपनी शक्ति की पूर्ण श्रेष्ठता दिखाई। (रोमियों 5: 8)

परमेश्वर आपसे प्रेम करता है और उसके महान प्रेम के कारण आप कई महान विजय प्राप्त करने में सक्षम होंगे। यह परमेश्वर का प्रेम है जो आपको पूर्ण विश्वास दिलाता है कि न मौत, न जीवन, न स्वर्गदूत, न ही बुरी आत्माएं आपको परमेश्वर से अलग कर सकते हैं। कोई भी शक्तियाँ न आज और न ही भविष्य में यह कर सकती हैं। ऊँचाई या गहराई में कोई भी रचना आपको परमेश्वर से अलग नहीं कर सकती, जो आप से प्यार करता है और प्रभु यीशु मसीह के द्वारा आपको अपना प्यार दिखाता है। (रोमियों 8: 37-39)

जब आप समझ जाएंगे कि आप किसके हैं तब आप समझ जाएंगे कि आप कौन हैं। परमेश्वर के प्रेम की शक्ति को, न कि शक्ति के प्रेम को, आपके जीवन के सभी निर्णयों में आपकी अगुआई करने दें। और अगर आप परमेश्वर के बिना शर्त के प्रेम को स्वीकार करते हैं तो यह आपका दिशा दिखाने वाला यंत्र, सच्ची शक्ति और अधिकार बन जाएगा।

#दिलसेदिलतक Stan & Lana
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