दिल से दिल तक

जीवन कोई समस्या नहीं है जिसे हल किया जाए, बल्कि यह एक साहसिक कार्य है जिसे परमेश्वर के साथ अनुभव किया जाये। "परमेश्वर जो कुछ भी करता है वह रहस्य से ढका हुआ है, और यह मानवीय समझ से परे है"। (नीतिवचन 25: 2)

क्या आप इस बात से सहमत नहीं होंगे कि अगर कोई हमें बताए कि साजिश का पर्दाफाश कैसे होगा और प्रत्येक दृश्य में क्या होगा तो एक फिल्म अपना आकर्षण खो देती है? हम कोई नई फिल्म दिलचस्पी से देखते >>>

आप परमेश्वर के प्रेम को कमा नहीं सकते पर आप परमेश्वर के प्रेम को सीख सकते हैं। "परमेश्वर प्रेम है। जो कोई प्रेम में रहता है वह परमेश्वर में रहता है।" (1 यूहन्ना 4: 16)

क्या आपने कभी सोचा है कि अपने सारे प्रयासों के बावजूद जो हम सोचते हैं कि सही है हम अपने आप को सच्चे जीवन और आनन्द से वंचित कर सकते हैं ?

हम उड़ाऊ पुत्र के दृष्टान्त को जानते हैं >>>

आपके विचारों मे ताकत है। आपके शब्दों मे अद्भुत शक्ति है। इसलिए सावधान रहिए कि आप क्या सोचते है औऱ क्या बोलते हैं? "जीभ के वश मे मृत्यु औऱ जीवन दोनों हैं"। (नीतिवचन 18: 21)

आपके शब्द आपके जीवन को निर्देशित करते हैं आज आप जिस चीज़ के बारे में बात करते हैं कल वो आपके पास होगा। परमेश्वर ने सृष्टि को अपने शब्द से बनाया। शब्द में रचनात्मक शक्ती है। आप निश्चय करते हैं >>>

प्रेम की शक्ति शक्ति के प्रेम से अधिक मजबूत होती है। "अगर मैं पहाड़ों को हिला सकता हूँ लेकिन मेरे पास प्यार नहीं तो मैं कुछ भी नहीं हूँ।" (1 कुरिन्थियों 13: 2)

जब शैतान यीशु को अपनी ओर जीतना चाहता था तब उसने जंगल में उसकी अंतिम परीक्षा की जो शक्ति और अधिकार से जुड़ी थी। “शैतान फिर यीशु को एक बहुत ऊँचे पहाड़ पर ले गया और उसे जगत के सारे >>>

आपको यह साबित करने के लिए अनावश्यक जोखिम उठाने की ज़रूरत नहीं कि आप सचमुच कौन हैं। "तुम प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न लेना।" (मत्ती 4: 7)

हम मत्ती 4: 6 में पढ़ते हैं कि शैतान ने दूसरी बार जंगल में यीशु की परीक्षा की, “अगर आप परमेश्वर के पुत्र हो तो अपने आप को नीचे गिरा दो। क्योंकि लिखा है, ‘वह तेरे विषय में अपने स्वर्गदूतों >>>

जब आप समझ जाएंगे कि आप किसके हैं तब आप समझ जाएंगे कि आप कौन हैं। “क्योंकि तुम सब यीशु मसीह पर विश्वास करने के द्वारा परमेश्वर की सन्तान हो।" (गलातियों 3: 26)

यीशु के अपनी सांसारिक सेवा शुरू करने से पहले, हमारे स्वर्गीय पिता चाहते थे कि यीशु अपने जीवन में कुछ महत्वपूर्ण अनुभव करें। हम मत्ती 3:17 में पढ़ते हैं कि जब यूहन्ना यीशु को पानी में बपतिस्मा दे रहा था >>>

तुम प्रेम के लिए बनाए गए थे। “क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम किया कि उसने अपना इकलौता पुत्र दे दिया ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नाश न हो परंतु अनंत जीवन पाए"। (यूहन्ना 3: 16)

जीवन एक फैसला है। तुम्हारा जीवन एक फैसले के कारण शुरू हुआ, पर वह फैसला तुम्हारा नहीं था। तुमने फैसला नहीं लिया कि तुम्हें इस दुनिया में आने की ज़रूरत है।

जीवन बढ़ोतरी है। बढ़ोतरी विरासत में मिले फ़ैसलों से >>>

अच्छा काम करते रहें। “मौके को न खोएं और सभी लोगों की मदद करें। लेकिन सबसे पहले, उन लोगों के लिए भला करें, जो परमेश्वर के परिवार के हैं।” (गलातियों 6: 10)

भले ही दुनियाँ डर और चिंता से भरी हो लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हमें दुनियाँ का पीछा करना है। मसीह ने हमें पाप से छुड़ाया और हम अब दुनियाँ के हिसाब से नहीं जीते। हम परमेश्वर के राज्य >>>

अपनी समस्याओं पर मन ना लगाऐ, परमेश्वर पर मन लगाए जो हर समस्या का समाधान कर सकता है। "विश्वास करने वालो के लिए सब कुछ सम्भव है"। (मरकुस 9: 23)

हमारा ध्यान हमारी दिशा को निश्चित करता है। पीछे देखकर आगे की ओर जाने की कोशिश करना नामुमकिन है। हार के बारे में सोचकर जीतने की कोशिश करना नामुमकिन है। हमारा ध्यान दिखाता है की हम कहाँ जा रहे हैं। >>>

दया संसार को चलाती है। "परमेश्वर उपकार न माननेवालों और धूर्तों के प्रति दयालु हैं"। (लुका 6: 35)

दयालुता को हराना नामुमकिन है। ठीक जैसे अंधकार रोशनी पर नहीं जीत सकता और जैसे आग समुद्र को नहीं जला सकती और रात दिन को नहीं रोक सकती उसी तरह से दयालूता अजय है।

अगर तुम दयालुता को दुःख पहुँचाओगे >>>